‘दुनिया को लेकर मेरा अनुभव बहुत अजीब है’
विष्णु खरे (9 फ़रवरी 1940–19 सितंबर 2018) को याद करते हुए यह याद आता है कि वह समादृत और विवादास्पद एक साथ हैं। उनकी कविताएँ और उनके बयान हमारे पढ़ने और सुनने के अनुभव को बदलते रहे हैं।
अच्छी कहानी वही है दोस्तों जिसके किरदार कुछ अप्रत्याशित काम कर जाएँ। इस प्रसंग से यह सीख मिलती है कि नरेशन अच्छा हो तो झूठी कहानियों में भी जान फूँकी जा सकती है। यह भी कि अगर आपके पास कहानी है तो सबसे पहले कह डालिए।
विष्णु खरे (9 फ़रवरी 1940–19 सितंबर 2018) को याद करते हुए यह याद आता है कि वह समादृत और विवादास्पद एक साथ हैं। उनकी कविताएँ और उनके बयान हमारे पढ़ने और सुनने के अनुभव को बदलते रहे हैं।
यह लेख उनके लिए नहीं है जो मुक्तिबोध को जानते हैं, यह लेख उनके लिए है जो मुक्तिबोध को जानना चाहते हैं…
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपनी किताब ‘हिंद स्वराज’ में स्वराज के लिए सच्ची विकलता रखने वाले और उसके लिए संघर्ष करने वाले हिंदुस्तानी के कुछ लक्षण बताए थे/हैं। आज स्वतंत्रता दिवस की 74वीं वर्षगाँठ पर ‘हिन्दवी’ ब्लॉग की शुरुआत करते हुए हम इन्हें ‘स्वराज का सार’ के रूप में याद कर रहे हैं…
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