वह क्यों मेरा सरनेम जान लेना चाहता है
घड़ी की सुइयाँ रुक गई हैं। वक़्त अब भी बीत रहा है। हम यहाँ बैठे हैं। वक़्त के साथ-साथ हम भी बीत रहे हैं। हम रोज़ सुबह उठते हैं और रात को सो जाते हैं। वक़्त से आधा घंटा देर से खाना खाते हैं। रात देर तक फ़ोन से चिपके रहते हैं। इस पूरी दिनचर्या में एक वक़्त ऐसा नहीं जाता, जब इस घड़ी के बारे में न सोच रहे हों। लेकिन पाँच मिनट निकालकर इस घड़ी में सेल डाल सकने की इच्छा को उगने नहीं दे रहे हैं।