डरपोक प्राणियों में सत्य भी गूँगा हो जाता है
प्रेमचंद (1880–1936) हिंदी-उर्दू एकता के हामी अप्रतिम भारतीय कथाकार हैं। यहाँ प्रस्तुत हैं उनके वृहत रचना-संसार से चुने गए उद्धरण…
अच्छी कहानी वही है दोस्तों जिसके किरदार कुछ अप्रत्याशित काम कर जाएँ। इस प्रसंग से यह सीख मिलती है कि नरेशन अच्छा हो तो झूठी कहानियों में भी जान फूँकी जा सकती है। यह भी कि अगर आपके पास कहानी है तो सबसे पहले कह डालिए।
प्रेमचंद (1880–1936) हिंदी-उर्दू एकता के हामी अप्रतिम भारतीय कथाकार हैं। यहाँ प्रस्तुत हैं उनके वृहत रचना-संसार से चुने गए उद्धरण…
इतिहास की तारीख़ के हिसाब से देखा जाए तो कवि चंदबरदाई को हिंदी का पहला कवि और उनकी रचना ‘पृथ्वीराज रासो’ को हिंदी की पहली रचना होने की इज़्ज़त बख़्शी गई है।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी के अप्रतिम आलोचक, निबंधकार, साहित्येतिहासकार, कोशकार, अनुवादक, कथाकार और कवि हैं। शुक्ल जी ने हिंदी साहित्य को जिस तरह प्रस्तुत किया, उस तरह आज तक शायद ही कोई दूसरा कर पाया।
आज भी आलोचना, आलोचना के प्रत्ययों, अवधारणाओं और पारंपरिक भाषा से इतनी जकड़ी हुई है कि वह नई बन ही नहीं सकती।
अब्दुल रहमान के ‘संदेश रासक’ में 12वीं सदी के भारतीय जीवन की एक पूरी तस्वीर दिखती है। वह मुल्तान में पैदा हुए, फिर उत्तर भारत आ गए। अपने काव्य में वह अन्य हिंदुओं की तरह मुल्तान को ‘मलेच्छ देश’ कहते हैं, क्योंकि वहाँ मुसलमानों का क़ब्ज़ा बहुत पहले हो चुका था
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