‘मसिजीवी होना तो भूखे मरना है’
हम उनके घर पर पहुँचे। वह अपने कमरे में सो रहे थे। मैंने उनके अध्ययन-कक्ष में देखा—कोने में एक झोला टँगा है। टेबल पर ओम थानवी की अज्ञेय पर केंद्रित किताब रखी है। हाथ से लिखे कुछ पन्ने पड़े हैं।
अच्छी कहानी वही है दोस्तों जिसके किरदार कुछ अप्रत्याशित काम कर जाएँ। इस प्रसंग से यह सीख मिलती है कि नरेशन अच्छा हो तो झूठी कहानियों में भी जान फूँकी जा सकती है। यह भी कि अगर आपके पास कहानी है तो सबसे पहले कह डालिए।
हम उनके घर पर पहुँचे। वह अपने कमरे में सो रहे थे। मैंने उनके अध्ययन-कक्ष में देखा—कोने में एक झोला टँगा है। टेबल पर ओम थानवी की अज्ञेय पर केंद्रित किताब रखी है। हाथ से लिखे कुछ पन्ने पड़े हैं।
मेरी समझ से हर पाठक की कविता से अपनी विशिष्ट अपेक्षाएँ होती हैं। ये अपेक्षाएँ कई बार बहुत मनोगत और अकथनीय भी हो सकती हैं। मैं आपकी तो नहीं कह सकता, लेकिन अपनी सुना सकता हूँ।
कबीर की पिछली जयंती पर कबीरचौरा मठ ने हमेशा की तरह बनारस में एक धड़कता हुआ आयोजन किया था, जिसमें और चीज़ों के अलावा एक सत्र में कुछ अच्छी बातचीत भी हुई। यहाँ प्रस्तुत नोट्स उसी सत्र में लिए गए हैं।
पहले मैं जिस आशय के अनुरचना-से कार्य को ‘पढ़ते-पढ़ते’ के किसी खाँचे में रखना चाहता था, उसे ‘पढ़ते-गढ़ते’ के खाँचे में रखा। यह मैंने ज्ञानेंद्रपति से लिया।
सुधांशु फ़िरदौस (जन्म : 1985) का वास्ता इस सदी में सामने आई हिंदी कविता की नई पीढ़ी से है। गत वर्ष उनकी कविताओं की पहली किताब ‘अधूरे स्वाँगों के दरमियान’ शीर्षक से प्रकाशित हुई है। इस पुस्तक पर एक आलेख ‘हिन्दवी ब्लॉग’ पर प्रकाशित हो चुका है। इसके साथ ही सुधांशु फ़िरदौस इसक-2021 के कवि भी हैं।
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