वक़्त की विडम्बना में कविता की तरह
कवि आत्मकथा कम ही लिखते हैं। उनकी जीवनियाँ भी कम ही लिखी जाती हैं। मंगलेश डबराल (1948-2020) ने भी आत्मकथा नहीं लिखी। लेकिन उनके गद्य के आत्मपरक अंश और उनके साक्षात्कारों को एक तरफ़ करके, अगर हम उनकी पूरी ज़िंदगी और जीवन-मूल्यों को जानते-समझते हुए उनके कविता-संसार में प्रवेश करें; तब हम पाएँगे कि मंगलेश डबराल ने आत्मकथा लिखी है।